यहाँ पर लिखा कुछ भी मेरा नहीं है, जो कुछ भी है समाज से लिया और समाज को ही आहूत (अर्पित) करता हूँ.

Sunday 19 June 2011

क्या हमारे देश मे लोकतंत्र है या सिर्फ तानाशाही है।

5 जून की रात को दिल्ली के रामलीला मैदान मे जो कुछ हुआ उसे आप सभी जानते है। उसके बारे मैं लगभग सभी चेनलों और बहुत से ब्लोगस पर पक्ष और विपक्ष पर काफी दलीलें आप पढ़ और सुन चुके है। वह रात भारत के लोकतंत्र के माथे पर एक काला धब्बा है ऐसा लगभग सभी लोग मानते है। परंतु उस रात के बाद भी पर्दे के पीछे बहुत सी ऐसी घटनाएँ घाट रही हो जो भारत के लोकतान्त्रिक देश होने पर प्रश्न-चिन्ह लगाती है, उन घटनाओ के बारे मैं अधिक जानने के लिए निम्न लिंक्स पर जाएँ और फिर दूसरे लोगो को भी बताएं।

सरकार ने मीडिया को बाबा रामदेव और अन्ना हज़ारे की कवरेज करने से माना किया है।
बाबा रामदेव को बदनाम करने के लिए 5 दिन मे 1700 करोड़ के विज्ञापन।

2 comments:

  1. politics is politics-no argue-no ethics .

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  2. जी शिखा जी आपने बिलकुल सही कहा।

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